ज्ञान मालिका : महागुरु अष्टावक्र – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी

  जनक महाराज एक बार साधु- “संत, विद्वानों से भरी सभा में एक प्रश्न पूछा ” कौन मुझे अती कम समय में आत्माज्ञान देकर साक्षात्कार कर सकते हैं?” तब अष्टावक्र ने कहा- “मैं कर सकता हूं लेकिन एक शर्त है । तुम्हारे सिंहासन, राज्यकोष, तुम्हारा शरीर और मन मुझे देना होगा।”   राजा ने उस […]

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ज्ञान मालिका : स्वर्ग~नरक – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी

एक सैनिक एक गुरु से मिला और पूछा- “स्वर्ग – नरक है क्या ? कैसे हैं वे?” तब गुरु- “तुम्हारा काम क्या है ?” सैनिक ने कहा- “मैं एक सैनिक हूं।” तब गुरु ने कहा- “तुम सैनिक की तरह नहीं दिखते हों एक भिक्षुक की तरह दिखते हों ।”   इसे सुनकर सैनिक को बहुत […]

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ज्ञान मालिका : दो चिड़ियां – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी

एक जंगल में एक ही तरह के दो चिड़ियां थे । आचार, विचार, खाना सब कुछ एक जैसे । एक दिन शिकारी आया और दोनों चूचियों को घर ले गया, एक तरह के पिंजरे में डाल दिया । उन्हें कुछ खाना और थोड़ा पानी रख कर वह चला गया ।   एक चिड़िया को दुःख […]

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ज्ञान मालिका : ऐसा कोई घर नहीं जहां म्रत्यु और दर्द नहीं – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी

  एक बार एक मांँ अपने इकलौता बेटा को बीमारी के वजह से खो दी। माँ दुख को रोक नहीं पाई। एक संत से मिली और अपने बेटे को वापस जि़ंदा लाकर देने की बहुत प्रार्थना की। अलग अलग तरीके से समाधान करने पर भी उस माँ की दुख कम नहीं होगी – यह बात […]

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ज्ञान मालिका : हम मूर्ती है; ऊपरवाला संगतराश है – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी

  एक मंदिर में दो व्यक्ति थे, एक पूजारी और एक नौकर । पूजारी का काम पूजा करना, और नौकर का काम है मंदिर का सफ़ाई करना । एक बार नौकर को लगा कि, ‘पूजारी भी मेरी तरह सामान्य व्यक्ति हैं लेकिन उसे भगवान को छूने की भाग्य है और मुझे मंदिर के सीडी साफ़ […]

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ज्ञान मालिका : भीतर की सौंदर्य ही सच्चा सौंदर्य है – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी

  एक बार जनक महाराज को एक विचार आया कि क्या कोई घोड़े पर चढ़ने की समय के अन्दर भगवान के साक्षात्कार और आत्माज्ञान सुना सकता हैं?   एक दिन उसने सभा रखी । वहां ज्ञानी, संत, विद्वानों ने सभी इकट्ठा हुए। जनक महाराज ने कहा अगर कोई घोड़े पर चढ़ने की समय के अन्दर […]

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ज्ञान मालिका : करके ही सीखना है – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी

  एक शहर में एक व्यक्ति था । चोरी करना ही उसका काम था ‌। उसका एक बेटा था । वह बड़ा होने के बाद सोचता हैं कि अब पिताजी बूढ़े हो रहें हैं, उनका काम अब मुझे करना पड़ेगा । एक दिन बेटे ने पिता से कहा कि चोरी करने के लिए उसे भी […]

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ज्ञान मालिका : देवता और राक्षस – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी

  देवलोक, भूलोक और पाताल लोक सभी भगवान की सृष्टि है । देवताओं मतलब रोशनी, राक्षसों मतलब अंधेरा । स्वर्गदूत स्वर्ग में रहते हैं और राक्षस पाताल में । राक्षसों को ये ठीक नहीं लगा । इसीलिए वे सभी ब्रह्म देव के पास पूछें कि- “क्यों हमें पाताल में रहना है?” ब्रह्म देव ने कहा- […]

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ज्ञान मालिका : चींटी की कहानी – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी

  एक दिन एक छोटा सा चींटी उससे कई ज्यादा वजन का घास को उठाकर जा रही थी । वजन ज्यादा होने से उसे उठाकर चलने में चींटी को बहुत दिक्कत होती है । रास्ते में अनेक बांधाओ का सामना करना पड़ा । कैसे भी करके उसे पार करने के बाद एक जगह पर पहुंचते […]

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ज्ञान मालिका : त्याग के बिना कुछ बड़ा नहीं मिलता है – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी द्वारा दिये हुए प्रवचन मालिका

एक मां एक बार छोटे छोटे पाट में से छोटे पौधों को निकाल कर एक उद्यान में डाल दिया । इस्को देख कर उस मां के छोटे बच्चे ने पूछा- “क्यों यहां से निकाल कर वहां डाल रहीं हों.” तब मां ने कहा- “उस छोटे पाट में पौधे से फूल अच्छा नहीं खिलेगा; उसे एक […]

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