ज्ञान मालिका : विश्वास में श्वास है – जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती महास्वामीजी द्वारा दिये हुए प्रवचन मालिका

श्री संस्थान

एक बार एक व्यक्ति ने एक बड़ा पर्वत चढ़ने निकला। और लोग उसके साथ चढ़ रहें थे लेकिन उस व्यक्ति सबसे पहले ऊपर जाना चाहता था, इसीलिए तेजी से आगे बढ़ रहा था। ऊपर का मौसम अलग था। पूरा हिमपात से रास्ता नज़र नहीं आ रहा था ‌। सांस लेना भी मुश्किल था उदर। व्यक्ति को चलना कष्ट हुआ और नीचे गिर गया। उसने बीच में रस्सी बांधा था, इसीलिए वह पूरा नीचे गिरने से बचा और बीच में ही लटकता रहा।

 

तभी उसने भगवान से उसको बचाने के लिए कहा। आकाश से ए आवाज आई “कमर पर बांधा रस्सी को खोल दो”। लेकिन उस व्यक्ति को आवाज पर विश्वास नहीं आया और रस्सी नहीं खोला।

 

कुछ समय बाद उसे सांस लेना मुश्किल हुआ और वह वहीं मर गया । जब उसके दोस्तों ने आकर देखा वह‌ जहां गिरा था वहां से थोड़े ही नीचे समतल जमीन थी। अगर वह उस आवाज पर विश्वास करके रस्सी खोला होता तो वह‌ बच जाता।

 

इस कहानी के नीति ये है कि विश्वास में श्वास है। जब हम भगवान में विश्वास रख कर अपने आप को समर्पित करें तो अद्भुत परिणाम होता है। अगर हम अपने साथीयों में विश्वास नहीं रखें और अनुमान से देखें तो हम कुछ कर नहीं पाएंगे। विश्वास में ही हमारी जीवन है।

अनुवादक : प्रमोद मोहन हेगड़े

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Srimukha

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