द्वितीय हव्यक सम्मेलन एवं अमृत महोत्सव: दिसंबर 28, 29 और 30 को हव्यक अमृत महोत्सव

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श्री अखिला हव्यक महासभा स्वतंत्रता पूर्व संगठित होकर, समस्त हव्यक समाज की एक प्रातिनिधिक संस्था के रूप में काम कर रही है। गुरुपीठों के दिव्य मार्गदर्शन में सन 1943 से यह संस्था समाज को संगठित करने तथा उसके सर्वतोमुख विकास के दिशा में कार्यरत है। अमृत महोत्सव वर्ष के इस हर्ष में हव्यक महासभा ने दिसंबर 28, 29 और 30 को ऐतिहासिक अमृत महोत्सव एवं द्वितीय विश्व हव्यक सम्मेलन को बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में आयोजित करने का निर्णय लिया है।

 

हव्यक समुदाय अपने ही विशिष्ट संस्कृति एवं संस्कार से इस राष्ट्र को वैशिष्ट्य पूर्ण योगदान दिया है। द्वितीय विश्व हव्यक महासभा अमृत महोत्सव कार्यक्रम, विश्व को हव्यक समुदाय का परिचय कराने के लिए आयोजित किया जा रहा है। दिसंबर 28 को अमृत महोत्सव का कार्यक्रम होगा एवं दिसंबर 29 और 30 को द्वितीय विश्व हव्यक महासभा का कार्यक्रम संपन्न होगा।

 

इस एतिहासिक कार्यक्रम में 75 वैदिकों को, 75 कृषिकों को, 75 साधकों को, 75 विद्यार्थियों को और 75 सैनिकों को सम्मानित किया जाएगा, 75 गोदान, समिति पुस्तकों का लोकार्पण जैसे विशिष्ट कार्यक्रमों को आयोजित किया गया है। सुपारी की खेती जो पारंपरिक हव्यक फसल है, उसके बारे में समग्र प्रदर्शन एवं लोकमंगलकारक यज्ञ-यागों के विषय में विश्व को संपूर्ण परिचय दिलाने का वैशिष्ट्यपूर्ण कार्यक्रम भी संपन्न होगा। हव्यक सांस्कृतिक कार्यक्रम अनेक कलाओं के माध्यम से अनावरण होगा। उत्तर कन्नड, दक्षिण कन्नड और शिवमोग्ग प्रांत के हव्यक पाक वैविध्य का परिचय कराने वाली हव्यक पाकोत्सव, इस कार्यक्रम को अधिक स्वादिष्ट बनाएगी। देशभर के अनेक जाने माने हस्ती इस कार्यक्रम में सहभागी होकर हव्यक संस्कृति और संस्कार का आनंद लेकर इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे।

 

हव्यक समुदाय एक कुटुंब के रूप में अपनी शक्ति, सामर्थ्य एवं संस्कृति को विश्व को परिचय कराने की इस उद्देश में, इस एतिहासिक कार्यक्रम में, समुदाय के हर व्यक्ति सहभागी हो यह महासभा की अपेक्षा है। दिसंबर 28, 29 और 30 को अन्य कोई कार्यक्रम न रखें। तीन दिनों के इस कार्यक्रम में आकर, अमृत महोत्सव एवं द्वितीय विश्व हव्यक सम्मेलन मैं सक्रिय रूप से सहभागी होने के लिए हर बंधु को हव्यक महासभा आमंत्रित कर रही है।

परम पूज्य श्रीमद जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती महास्वामीजी दिसंबर 28 के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में उपस्थित रहकर, इस कार्यक्रम को चालना देंगे।

दिसंबर 30 को कार्यक्रम के समारोह समारंभ में दिव्य उपस्थिति अनुग्रहित कर, मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद प्रदान करने वाले हैं। उसके उपरांत शाम को श्री संस्थान द्वारा “यज्ञधारिणी” रामकथा प्रस्तुत किया जाएगा। हव्यकों के आधारभूत यज्ञ के महत्व को प्रकाशित करनेवाली इस रामकथा में, 75 प्रख्यात कलाकार भाग लेंगे।

 

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