एक दिन एक छोटा सा चींटी उससे कई ज्यादा वजन का घास को उठाकर जा रही थी । वजन ज्यादा होने से उसे उठाकर चलने में चींटी को बहुत दिक्कत होती है । रास्ते में अनेक बांधाओ का सामना करना पड़ा । कैसे भी करके उसे पार करने के बाद एक जगह पर पहुंचते ही वहां एक बड़ा सा घाटी होती है । चींटी को समझ नहीं आया कि कैसे उस घाटी को पार किया जाएं । बहुत सोचने के बाद चींटी ने एक उपाय किया । उस घास को ही सेतु बनाकर घाटी पार करने के बाद फिर से उस घास को उठाकर घर के पास चलतीं हैं । घर मतलब जमीन के नीचे एक बबिल । उस बिल को छोटा सा द्वार होता है । द्वार छोटे होने की कारण घास को चींटी अंदर नहीं ले जा सकीं, उसे वहीं छोड़ कर चींटी ने अंदर गई ।
हमारे जीवन में भी वैसे ही बहुत दिक्कत से भोज उठाकर अनेक भौतिक चीजों को इकट्ठा करते हैं । हम जब ऊपर की घर जाते हैं तो सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ता है । तब हमें ‘ खाली हाथ आए थे हम ख़ाली हाथ जाएंगे ‘ बात समझ में आता है । इस सच्चाई को मन में रख कर जीवन बिता ने से प्रपंच में सुख-शांति होती है ।
अनुवादक : प्रमोद मोहन हेगड़े