बेंगळूरू : जून २५ : शरावती नदी के जल को बेंगळूरु तक लाने की प्रस्तावित योजना अवैज्ञानिक और अतार्किक है। विश्व में अति विरल जीव वैविध्य के स्थान से परिचित पश्चिम घाट के लिए यह हानिकारक है। परमपूज्य गुरुजी ने आग्रह किया है कि इस प्रस्ताव को सरकार ने तुरंत छोड़ देना चाहिए ।
बहु-अरब रुपये की लागत के इस योजना के बजाय, राजधानी की जल समस्या का समाधान के लिए बरसात के दिनों में जल संचयन का एक वैकल्पिक तरीका ढूंढना चाहिए। हम विकास के विरोधी नहीं है, लेकिनआज पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन जरूरी है। प्रकृति के विरुद्ध कोई परियोजना सुस्थिर नहीं हो सकती है।
400 किलोमीटर दूर से डेढ़ हजार फीट ऊंचाई पर स्थित बेंगळूरू तक पानी लाने के इस प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए। बजाय इसके, बेंगळूरू में जो अनियंत्रित विकास हो रहा है उस पर ध्यान देकर उसे रोकने की कोशिश युक्त है कहते हुए ऐसे मिडिया प्रकाशन को अपनी राय दी ।
पहले से लागू लिंगनमक्की, कार्गल, चक्रा, सावेहक्कलु, वारही, गेरुसोप्पे, गाजनूर, भद्रा, माणि, नागझरी और काळि परियोजनाओं के कारण लोगों ने भारी कठिनाइयों का सामना किया है। पश्चिमी घाट जो अपनी प्रतिधारण क्षमता से बड़कर, परियोजनाओं को झेलते हुए त्रस्त है। ऐसे ही और एक महंगी परियोजना को अमल में लाने के बजाय, बरसात के पानी का संचयन करने की ओर कोई परिकल्पना करें और पानी की समस्या को हल करने पर ध्यान केंद्रित करें।