सार्वभौमिक संस्कृति को विश्व स्तर पर फैलाने का ऐतिहासिक द्वितीय विश्व हव्यक सम्मेलन, और अखिल हव्यक अमृत महोत्सव कार्यक्रमों को अखिल हव्यक महासभा ने आयोजित किया है। यह सम्मेलन दिसंबर 28,29,30 को बंगलूर के रॉयल सीनेट और ग्रांड कैसेल हॉल में संपन्न होनेवाला है।
हव्यक समाज देश में अपने विशिष्ट संस्कृति तथा संस्कार से विशेष रूप से अपना योगदान दे रहा है। द्वितीय विश्व हव्यक सम्मेलन और अमृत महोत्सव कार्यक्रमों को यशस्वी कराने तथा हव्यक समाज को विश्व स्तर में प्रचार करने की दिशा में पूरे समाज एक परिवार के रूप में अपनी ताकत, सामर्थ्य और संस्कृति को दुनिया में पेश करने का यादगार कार्यक्रम बनाने का प्रयास किया है।
सम्मेलन में क्या क्या है विशेष !?
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में, 75 पुस्तकों का लोकार्पण, 75 वैदिक विद्वानों को ‘हव्यक वेद रत्न ‘ पदवी सन्मान, 75 किसानों को ‘हव्यक कृषि रत्न ‘ सम्मान, 75 साधकों को ‘हव्यक साधक रत्न ‘ सम्मान, 75 जवानों को ‘ हव्यक देश रत्न ‘ सन्मान ,75 छात्रों को ‘ हव्यक विद्या रत्न ‘ सन्मान, 75 गोदान, 75 याग मंटप-याग मंडलों की प्रदर्शनी और प्रतियोगिताएं, 75 कलाकारों के सहयोग से रामकाथा प्रस्तुति, रंगोली, चित्रकला, हव्यक संस्कृति और हस्तकला प्रतियोगिताओं के सहित विशेष कार्यक्रम होंगे।
हव्यकों के पारंपरिक फसल नट्टा की खेती का समग्र दर्शन और लोकमंगलकारी यज्ञ-यागों का महत्व बतानेवाली विशेष प्रदर्शनियों के साथ हव्यकों की सांस्कृतिक दुनिया कलाओं के माध्यम से पेश की जायेगी ।
उत्तर कन्नड़ , दक्षिण कन्नड़ और शिमोगा प्रांत के वैविध्यमय रसोइयों का परिचायक हव्यक पाकोत्सव इस कार्यक्रम को स्वादिष्ट बनायेगा। प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं और कई महान लोगों के सम्मिलन से कार्यक्रम की शोभा बडेगी ।
देश में हव्यक भोजन के लिए एक विशेष मान्यता है तथा हव्यक व्यंजन बहुत प्रसिद्ध हैं। मलेनाडु और तटीय क्षेत्रों के खाद्य पदार्थ सम्मेलन के ‘ हव्यक पाक’ में उपलब्ध होंगे । यह विशेष खाद्य बैंगलोर के खाद्य प्रेमियों का दाह बुझाएँगे।
हव्यक पाकोत्सव मे ‘आलेमने’ (गन्ने से गुड बनाना) अत्यन्त आकर्षक रहेगा ।
‘आलेमने’ महल, जो गांव के ग्रामीण संस्कृति का याद दिलायेगा । एक ओर जमीन पर पारंपरिक रूप से गन्ना दूध लेना और पीना हो तो दूसरी ओर पारंपरिक ‘आलेमने ‘ को देखने का सौभाग्य राजधानी के नागरिकों को मिलेगा।
कार्यक्रम जनता के लिए खुला है, अद्वितीय संस्कृति तथा अनुष्ठान का आनंद सब ले सकेंगे।
महासमिति का रूपीकरण-
ऐतिहासिक द्वितीय विश्व हव्यक सम्मेलन और अमृत महोत्सव कार्यक्रमों के संबंध में जो महासमिति का रूपीकरण किया गया है, इसके जिम्मेदारी को समुदाय के महान लोग और नेताओं अपनाएँ हैं।
होरनाडु के धर्मकर्ता डॉ। जी भीमेश्वर जोशी प्रधान समिति के मानद अध्यक्ष है तो , डॉ। गिरिधर कजे अध्यक्ष होंगे। श्री शांतिराम हेगड़े शीगेहल्ली, श्री हरनाथ राव मत्तिकोप्प, श्री समेत्तड्क गोपालकृष्ण भट्ट पुत्तूर, श्री श्रीधर भट्ट कलसी, श्री जी. वी हेगड़े कानगोड सिरसी, श्री एस जी हेगड़े कर्की बैंगलोर, श्री प्रमोद हेगडे यल्लापुर उच्च उपाध्यक्ष हैं।
डा. परम भट्ट अमरीका, डा.रूपा जयदेव इंगलैंड, डा. श्रीधर नडहल्ली आस्ट्रेलिया,श्री कुमारस्वामी वर्मुडी अफ्रीका, श्री चन्द्रहास भट्ट सिंगापुर, श्री एम.आर. हेगड़े दुबई, डॉ. सुरेश एल.एम केन्या, श्री मितूर भीम भट्ट चेन्नई, श्री टी. प्रकाश भट्ट मुंबई, श्री एस.एम. हेगड़े गौरीबणगी बैंगलोर, डॉ. श्रीधर के. आर. शीमोग्गा, श्री एन. के. भट्ट अग्गशिकुंब्रि, यल्लापुर समिति के उपाध्यक्ष हैं।
वे। मू।। शेषगिरी भट्ट सिगंदुर, वे। मू।। श्रीधर अडि कोल्लूर, वे। मू।। जी जी सभाहित अवैध, इडगुंजि, वे। मू।। रामचंद्र भट्ट हट्टियांगडी , वे। मू।। शितिकंठ हिरेमठ भट्ट गोकर्ण, वे। मू।। एम. के. भट्ट निमिषांब तथा श्री टी. मडियाल, आई.पी.एस., श्री आर वी शास्त्री बैंगलोर, श्री एम.आर.हेगडे गोडमेम, श्री टी. कृष्ण भट्ट आई.पी.एस., श्री श्रीधर जि. हेगडे आई.ए.एस, श्री पी. बी. राममूर्ति आई.ए.एस, श्री श्रीधर के. ए. एस. आदि मार्गदर्शक हैं।