भारतीय गोपरिवार कर्नाटक राज्य घटक की ओर से गव्हांर के श्री त्रिविक्रमानंद सरस्वती स्वामी मठ में पंचगव्य प्रशिक्षण शिबिर आयोजित किया गया था।
गव्हांर मठ के परमपूज्य श्री सोपाननाथ महास्वामीजी ने
शिबिर उद्घाटन कर, सभा को अपने आशीर्वचन दिया।
कर्नाटक राज्य गोपरिवार के अध्यक्ष पूज्य श्री पांडुरंग महाराज जी ने मार्गदर्शन किया।
श्रीमती सुलोचना जी ने संपन्नमूल व्यक्ति बनकर भाग लिया। उन्होंने गोमयादि तैल, सुकांति फेस पैक, धूप, विभूति, दंतमंजन, गोमय खंड, फिनाईल, निवेदना, शमन तैल, केश तैल, सुचरण, विभूति, पंचगव्य घृत, जैसे विभिन्न गव्य आधारित उत्पादों की तैयारी पर प्रायोगिक प्रशिक्षण और उपयोग से प्रभावों की जानकारी दी।
गव्य अधारित कृषि के बारे में भी जानकारी दी गई। गव्य उत्पादों का उपयोग करके अद्भुत परिणाम पाने का तरीका बताया गया। समृद्धि कीट नियंत्रक, जीवामृत, घनामृत जैसे अनेक कृषि संबंधीत गव्य उत्पादों का परिचय दिया गया। इन सभी वस्तुओं को प्रायोगिक तरीके से तैयार करने की प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। गव्य आधारित कृषि से जो किसान लाभार्थी थे उनके अनुभवों की कहानियों को वीडियो के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। गोमूत्र से अर्क बनाने का विधान को भी दिखाया गया। अर्क के घटक स्थापना करने के बारे में पूरी जानकारी दी गई।
पंचगव्य प्रशिक्षण के संचालक डा. रवि जी ने इन सभी उत्पादों के बारे में जानकारी दी। कच्चे माल की उपलब्धता, तैयार करते समय ध्यान में रखने वाली बातें, हर बात के बारे में क्या, क्यों, कैसे और कब ऐसे हर पहलू के बारे में बताया। तैयार की गई वस्तुओं की किस तरह की मांग है, व्यापार करने का विधान, व्यापार करने मे भारतीय गोपरिवार किस तरीके से सहयोग देगा इस बारे में भी शिबिरार्थियों को बताया गया।
शिबिर तीन दिनों तक चला।