सिद्दापुर : भानकुली श्री रामदेव मठ के गोस्वर्ग में सिद्दापुर, सागर, रामचंद्रापुर, कुमटा और होन्नावर मंडल की सुरभि सेविकाओं की सभा में मार्गदर्शन और आशीर्वाद देकर श्री संस्थानाधीश्वर जी ने कहा कि “कोई तीन चार करोडपतियों के द्वारा गोस्वर्ग नहीं चलाना है। गोसेवा में धन की चाह से अधिक चाहत सहभागित्व में होना मुख्य है। केवल गोस्वर्ग निर्माण में ही नहीं बल्कि उसके निर्वहण में भी माताओं को भाग लेना है। माताएँ गोस्वर्ग के आधार स्तंभ बने ।”
उन्होंने आगे कहा कि “यह स्थान दुनिया की एकमात्र ऐसी जगह है जहाँ गाय स्वतंत्र तरीके से रहती हैं। अगर यहाँ रहना कल्याण हो तो नया आवे तो योग। इसलिए उन लोगों को रखें जो गोस्वर्ग के लिए सेवा कर रहे हैं और नए लोगों को जोडे़ं। अधिकांश शिष्य भक्त और समाज का संपर्क करें । उनमें केवल पैसे मत मांगो। वे खुद यहाँ आएँ और आनंद ले लें । धन संग्रह जितना महत्वपूर्ण है , उनका आगमन भी उतना ही महत्वपूर्ण है। माताओं को इस पृष्ठभूमि में संपर्क पुल बनना चाहिए।
ज़रूर केवल कुछ ही दिनों में गोस्वर्ग भरें। जो यहाँ बाकि हो उसे होसाड गोशाला और बाकि गोशाला को बाँटें। उम्मीद यह है कि चारों ओर गोसेवा होना है। सहस्र सुरभियाँ इस महत कार्य के लिए तैयार होनी हैं। सभी को सन्मंगल हो ।”
इसी संदर्भ में अडवितोट श्री कृष्णभट्ट जी के अध्वर्य में ऋत्विजों के सहकारिता से नवचंडि हवन संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में महामण्डल की अध्यक्षा श्रीमती ईश्वरी बेर्कड़वु , गोस्वर्ग संस्थान के आर.एस .हेगडे, गणपति हेगड़े मूगिनमने, महामण्डल मातृ प्रधाना श्रीमती कल्पना तलवाट, सिद्धापुर मण्डल मातृ प्रधाना श्रीमती वीणा भट्ट शिरसी, श्रीमती अनुराधा पार्वती और विभिन्न प्रदेशों की सुरभि सेविकाएँ और शिष्य गण भाग लिए थे।