ज्ञान मालिका : क्या नक़ली हैं? क्या असली है ? – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी द्वारा दिये हुए प्रवचन मालिका

श्री संस्थान

एक छोटी बच्ची मेलें में एक मोती के हार ख़रीद थी है । लेकिन वो हार नक़ली मोतीयों के थी, फिर भी उस हार को वो बच्ची असली हार समझकर संभाल के रखा करती थी। किसी को भी देती नहीं थी। पानी गिरने पर ख़राब न हो जाए, इसीलिए सिर्फ नहाते समय उसे निकाल कर रखती थी। हर रात उसके पिता उसे एक कहानी सुनकर सुलाता था और हार उसे देने को मांगता था। लेकिन वह देती नहीं थी।

कुछ दिन बाद उस नक़ली हार का रंग उतरने लगा। रंग निकले हारे पर बच्ची का चाहत भी कम होने लगा। रोज़ की तरह जब पिता ने हार मांगा तो बच्ची ने उसे पिता को दे दिया। वो हार लेते ही अपने जेब से असली हार लेकर पिता ने अपनी बच्ची को दे दिया।

इस कहानी का नीति ये है कि जो भी भौतिक वस्तुएं है सभी नक़ली है। असली वस्तुओं को देने के लिए भगवान हमेशा तैयार रहता है। हम ख़ुद को भगवान में समर्पित कर के, सेवा कर के, नक़ली वस्तुओं को त्याग करे तो हमें असली वस्तुएं मिल सकती है। वही है भगवान के साक्षात्कार।

अनुवादक : प्रमोद मोहन हेगड़े

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *