ज्ञान मालिका : नाम शाश्र्वत नहीं है – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी द्वारा दिये हुए प्रवचन मालिका

श्री संस्थान

कुछ लोग पैसों के लिए, कुछ स्त्रीयों के लिए, और कुछ नाम के लिए गलत काम भी करते हैं । इसके लिए यह कहानी ही साक्षि है ।

एक राज्य में एक राजा था ‌। उसे नाम कमाने का महत्त्वाकांक्षी हुआ । अपने आस्थान के सभी विद्वानों को इकट्ठा किया और पूछा-
“बहुत बड़ा नाम कमाया व्यक्ति को मरने के बाद कैसे सम्मान करते हैं?”

सभी विद्वानों ने कहा-
“जो बड़ा नाम करते हैं उन्हें देवलोक की एक पर्वत में उनका नाम लिखा जाएगा ”

राजा को बहुत इच्छा होती है । वह उसी दिन से नाम कमाने के लिए अनेक कार्यों को करने लगा । उसका नाम कमाने की चक्कर में कुछ लोगों को कष्ट भी हुआ । समय निकलते एक दिन राजा मर गया ‌।

देवलोक में उसने देवदूत से-
“मेरा नाम कहां लिखा जाएगा?”
तब उन्होंने उसे एक बड़ा सा पर्वत के ले जाकर कहा, इसी पर्वत में तुम्हारा नाम होगा ‌। राजा ने देखा वहां एक इंच का भी जगह नहीं थी उसका नाम लिखने के लिए, उतना नाम भरा हुआ था । देवदूतों ने एक नाम को मिटा कर राजा का नाम लिखा दिए ।

राजा ने पूछ –
” कुछ समय बाद मेरा नाम मिटा कर किसी और का नाम लिख सकते हैं ना आप ?”
देवदूतों ने कहा-
“हां! जरूर लिख सकते हैं।”

“इसके लिए मुझे कितना कष्ट करना पड़ा” ऐसा सोच कर राजा निराश हुआ ।

कुछ लोग नाम के लिए गलत काम भी कर लेते हैं । कष्ट करते हैं ‌। लेकिन वह ये नहीं समझते कि नाम शाश्र्वत नहीं है ।

डि. वि. जि. ने कहा हैं –
चावल को अन्न बनाने की क्रिय को कौन पहले देखा हैं ? कौन पहले शब्दों को लिखना शुरू किया ? जग ने कोई आदि बंधूओं के गिनती नहीं रखी है ? तुम कैसे यशस होगें ?

अनुवादक : प्रमोद मोहन हेगड़े

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Srimukha

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