एक कालेज, वहां के प्रोफ़ेसर ने गिलास भर के पानी लाकर विद्यार्थियों से कहा-
“इस गिलास में पानी के भार कितना होगा?”
कुछ ने कहा १०० ग्राम् , कुछ १५०, और कुछ २०० ग्राम् कहा ।
प्रोफ़ेसर ने पूछा-
“जो कम भार है, उस गिलास को अगर दिन भर के लिए उठाके रखें तो क्या होगा?”
विद्यार्थियों ने-
” पहले हाथ दुखेगा और बाद में हाथ स्ट्रोक्स भी हो सकता है ”।
जब प्रोफेसर ने पूछा कि इस गिलास को नीचे रखने से कोई दर्द नहीं होगा, सारे विद्यार्थियों ने हां कहा ।
तब प्रोफेसर-
” हम अगर अपने चिन्ता की गिलास को ज्यादा समय तक उठाकर रखने से हमारे बुद्धि को भी स्ट्रोक्स हो सकता है । इसीलिए हमें अनावश्यक विषयों को महत्व देकर चिंतित होने का कुछ लाभ नहीं होगा । बदलें में नष्ट ही होता है ।”
जीवन में चिंता की गिलास को नीचे रखने से कोई दुःख या दर्द नहीं होगा और मन को शांति मिलती है ।
अनुवादक : प्रमोद मोहन हेगड़े