एक गांव में एक लकड़हारा था । उसने एक बार लकड़ी का व्यापारी के पास काम पर चला । वह बहुत बलिष्ठ था इसीलिए जोश में लकड़ी तोड़ना शुरू किया । पहली दिन उसने १८ पेड़ों को काटा । दूसरी दिन और ज़ोर लगाया लेकिन सिर्फ १५ पेड़ों को काटा । तीसरी दिन १२, चौथा दिन १० ऐसे ही दिन ब दिन प्रयत्न ज्यादा होती थी और उसके फल उतना ही कम । वह ‘ऐसा क्यूं हो रहा है’ सोचते हुए व्यापारी के पास आकर पूछा,-
“क्यूं मेरे प्रयत्न को योग्य परिणाम नहीं मिल रहा हैं।”
व्यापारी ने कहा, “क्या तेरी कुल्हाड़ी स्नैप है? कुल्हाड़ी को आसियाना लगाकर कितने दिन हुएं ?”
तब उसने विचार किया पर कुछ याद नहीं आया ।
हम सभी का कहानी भी यही हैं । हम में से बहुत लोग भाषणकार हैं, संगीतकार है, नृत्यपटु है । लेकिन वे सभी अगर ठीक से अभ्यास नहीं की तो दिन ब दिन उनका सामर्थ्य कम होकर, एक ही विषय बार बार कहते और करते रहेंगे । इसीलिए हमें ठीक से अभ्यास करके तैयार होना हैं, या हमारी कहानी भी लकड़हारा की कहानी की तरह श्रम ज्यादा और फल कम हो जाएगा ।
अनुवादक : प्रमोद मोहन हेगड़े