ज्ञान मालिका : दो चिड़ियां – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी

श्री संस्थान

एक जंगल में एक ही तरह के दो चिड़ियां थे । आचार, विचार, खाना सब कुछ एक जैसे । एक दिन शिकारी आया और दोनों चूचियों को घर ले गया, एक तरह के पिंजरे में डाल दिया । उन्हें कुछ खाना और थोड़ा पानी रख कर वह चला गया ।

 

एक चिड़िया को दुःख हुई; जो वह चाहते हैं वो खाना नहीं, पानी है लेकिन बहती हुई नदी की नहीं, थोड़ा जगह है लेकिन उड़ने जितना नहीं । ऐसा सोचकर उपवास व्रत करके शाम तक मर गई ।

 

लेकिन दूसरे चिड़िया सकारात्मक चिंतन की; जितना है उसमें खुश रह कर, अच्छे दिन की उम्मीद में जीने की निर्धार कि और खाना और पानी को स्वीकार किया । शाम को जब वह शिकारी वापस आकर पिंजरे खोला तो एक चिड़िया खुशी से उड़ गई । लेकिन दूसरी चिड़िया पिंजरे में ही मर गई थी ।

 

हम सबके जीवन में भी हर किसी को किसी ना किसी तरह के कष्ट होते हैं । उनसे दुःखी होकर हमें आत्महत्या नहीं करना चाहिए । सकारात्मक चिंतन करके हमें अपने कर्त्तव्य करने से एक दिन अच्छा दिन आ सकता है, साधना कर सकते हैं ।

 

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Srimukha

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