ज्ञान मालिका : लक्ष्मी (समृद्धि) – अलक्ष्मी (दारिद्रय) – जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती महास्वामीजी द्वारा दिये हुए प्रवचन मालिका

श्री संस्थान

एक बार, लक्ष्मी और अलक्ष्मी के बीच एक तर्क उत्पन्न हुआ कि कौन अधिक सुंदर है। दोनों ने तर्क रक्खा कि वह दूसरे की तुलना में अधिक सुंदर है। वे दोनों पृथ्वी पर गए और एक अमीर व्यापारी से संपर्क किया और उनसे पूछा, “हम दोनों के बीच, कौन अधिक सुंदर है?”

व्यापारी उलझन में पड गया। उन्होंने महसूस किया कि यदि वह एक को दूसरे की तुलना में अधिक सुंदर घोषित करता है, तो वह कष्ट में आ जायेगा । उसे एक उपाय सूझा । उस व्यापारी ने उन दोनों से कहा कि वह अपने राय उन दोनों के चलने के तरीके को देखकर फैसला सुनायेगा।
व्यापारी ने लक्ष्मी से कहा,
“आप दस कदम आगे की ओर चलें “।
उन्होंने अलक्ष्मी से कहा,
“आप दस कदम पीछे की ओर चलें”।
दोनों ने उनके निर्देश का पालन किया। व्यापारी ने अपने फैसले को सुनाया कि लक्ष्मी आने के समय अधिक सुंदर दिखती है और अलक्ष्मी जाते समय अधिक सुंदर दिखती है। वय व्यापारी ने घोषित किया, “दोनों सौंदर्य में बराबर हैं”। लक्ष्मी और अलक्ष्मी दोनों इस जवाब से खुश हुए और व्यापारी को आशीर्वाद दिया।

इसी प्रकार, जीवन में दोनों अच्छी और बुरी चीजें हमारे ऊपर आती हैं। हम अच्छे भाग्य से खुश महसूस करते हैं और दुःख खत्म होने पर उतना ही खुश महसूस करते हैं।

यदि कोई अंधकार नहीं है, तो हम प्रकाश की महानता को कैसे महसूस कर सकते हैं? हम जीवन में अच्छे और बुरे दोनों का अनुभव करते हैं। हमें जीवन को खुष रखने के लिए अच्छाई का स्वागत करना चाहिए और बुराई को अलविदा कहना चाहिए। यही इस कहानी का सार है।

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