एक मां एक बार छोटे छोटे पाट में से छोटे पौधों को निकाल कर एक उद्यान में डाल दिया । इस्को देख कर उस मां के छोटे बच्चे ने पूछा-
“क्यों यहां से निकाल कर वहां डाल रहीं हों.”
तब मां ने कहा-
“उस छोटे पाट में पौधे से फूल अच्छा नहीं खिलेगा; उसे एक विशाल उद्यान में लगा कर, पानी, मिट्टी गोबर डालने से सुंदर फूल खिलता है।”
हमारे जीवन में भी अगर कुछ खोने से उससे भी अमूल्य सा मिल सकता है । हमारे जीवन खिला फूल जैसे होकर संतोष फ़ैलाने के लिए हमें तालाब का मेंढक की तरह नहीं रहना चाहिए । विशाल स्थल पर जाना है । कभी कभी मरण भी अच्छा जन्म दे सकती है । थोड़ा सा त्याग के बिना कुछ हासिल नहीं होगा । इसीलिए छोटे छोटे त्याग करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए ।
अनुवादक : प्रमोद मोहन हेगड़े