हिमगिरि था । वहां कुछ शल्यक रहते थे । एक बार जोर से ठंडी हवा चलने लगती है । उस ठंडी हवा से कैसे बचें, ये निर्णय करने के लिए सारे शल्यक एक जगह पर मिलें । उस समालोचन में ये तय हुआ कि अगर सारे शल्यक एक दूसरे के साथ चिपक कर रहे तो ठंडक से बच सकते हैं और गरमी हो सकती है । लेकिन उन पर कांटे होने की कारण साथ रहें तो एक दूसरे को कांटे चुभते थे, इसीलिए दूर रह कर ही ठंडक से बचने की कोशिश कर रहे थे । ठंडी हवा और ज़ोर चलने लगी और उन्हें जीना मुश्किल हो गया, मरने की परिस्थिति आ गई । तब वे सोचते हैं कि ऐसे अलग हो कर मरने से साथ रह कर दर्द सहना अच्छा है । ऐसा करने से सभी शल्यक जिंदा बचें ।
हां, हमारे जीवन में भी, रिश्तेदार, बंधू, दोस्त सभी हैं, कभी कभी हमें उनसे दुःख या दर्द होता है । सब कुछ सहन कर समाज में एकता से जिएं तो जीवन में सुख-शांति होती है । नहीं तो कष्ट से नाश भी हो सकता है ।
अनुवादक : प्रमोद मोहन हेगड़े
ಹರೇ ರಾಮ.