गोकर्ण के सार्वभौम श्री महाबलेश्वर मंदिर और परिवार के मंदिरों से संबंधित श्री रामचंद्रपुरम के लिए और एक महत्वपूर्ण जीत मिल गया है। अदालत ने महाबलेश्वर मंदिर के किनारे पर स्थित आदिगोकर्ण के पुनर्निर्माण पर रोक लगाने की अपील को तिरस्कृत कर दिया और आवेदक को अदालत के खर्च को श्री मठ को भुगतान करने के लिए आदेश जारी किया है।
आदिगोकर्ण मंदिर खंडहर था । इसलिए २०१४ में श्री रामचंद्रापुर मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती महास्वामी जी के मार्गदर्शन में मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य शुरू किया गया था। श्रीमठ के विकास से ईर्ष्या करनेवाले कुछ लोगों के कुतंत्र की सहायता से आवेदक अदालत में मंदिर के पुनर्निर्माण पर प्रतिबंधित करने के लिए अदालत से आदेश की मांग की।
संरक्षण की भावना नहीं … श्रीमठ के खिलाफ दुर्भावना
पुनर्निर्माण को रोकने के इच्छुकों के लिए संरक्षण का कोई इरादा नहीं है, और आवेदक का उद्देश्य है कि श्रीमठ के प्रशासन को परेशान करना है। अदालत ने यह भी फैसला दिया कि श्रीमठ के प्रशासन के खिलाफ यह एक दुर्भावनापूर्ण कार्य है । ०५-१२-२०१८ को अपना आवेदन वापस ले जाने केलिए आवेदकों द्वारा दिए गए विनंति पत्र में यह साबीत हुआ है।
निहित स्वार्थों से विकास को रोकें
२००८ में श्री महाबलेश्वर मंदिर के हस्तांतर के बाद, हर कदम पर कुछ स्वार्थी लोग रोक लारहे हैं और गोकर्ण के संपूर्ण विकास को विफल करने का प्रयास कर रहे हैं। २००८ से पहले तीर्थयात्रियों के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी। जब श्रीमठ ने प्रसाद भोजन की व्यवस्था शुरू की, तो अदालत से रोक लगाने की कोशिश की गई। लेकिन अदालत ने उस अर्जी को भी खारिज कर दिया; दिन में दोपहर मुफ्त प्रसाद भोजन की व्यवस्था केलिए अनुमति दी। आज, अमृतान्न प्रसाद भोजन देशभर में प्रशंसा की जा रही है।
अदालत से आदिगोकर्ण मंदिर के पुनर्निर्माण में हासिल की गयी महत्वपूर्ण जीत गोकर्ण को व्यापक विकास में ले जाने के लिए श्रीमठ को और अधिक चैतन्य भरा है।