रामपद को तात्कालिक अल्पविराम

उपासना

सत्संग हर जीवन के अंतिम लक्ष्य, मुक्ति का पहला चरण है। सत्संग के लिए एकादशी के दिन से भी बेहतर और कौन सा पर्वकाल हो सकता है! राम ’पदों’ को राग में जोडकर, भाव के सुगंध को फैलानेवाला “रामपद” एक अद्वितीय सत्संग है जिसे श्री संस्थान जी हम सभी को हर एकादशी के दिन अनुग्रहित करतें हैं। शासनतंत्र के कलाराम विभाग के अन्तर्गत यह “रामपद” कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

 

हेमलम्ब संवत्सर के रामनवमी (०४-०४-२०१७) के दिन, यह विशिष्ट और अनोखा रामपद की शुरुआत होसनगर के प्रधान मठ में हुई थी। कुशल कलाकारों के साथ उभरते कलाकारों ने भी भजन और संकीर्तन की सेवा कर, रामचरणों में अपनी कला का प्रदर्शन देकर अपने कलान्तर में रामदर्शन को पाने का अपूर्व अवसर पाया। सदाशिव ब्रह्मेन्द्र, पुरंदरदास, त्यागराज, कनकदास, बसवेश्वर, तुलसीदास, सूरदास, तुकाराम, मीरा, भद्राचल रामदास, संत शीशुनाळ षरीफ जैसे भारत के सभी महान भक्ति साहित्य, दास साहित्य और गीतों को गाकर अनुभव करने का मंच “रामपद”।

 

देव मंदिर, भजन, पूजा, प्रसाद
जीवन का अलंकार और अंतरंग का उद्धार ।
भाव को इस क्षुल्लक जग से छुडाकर ऊपर
ले जाने वाला और क्या हो सकता है – मंकुतिम्म ।

 

राम पदों को राग का रस मिलाकर, भाव के अमृत मिलाकर जो पाक बनता है वही है श्री संस्थान जी के अमृत वचन के “रामपद”। श्री गर्तिकेरे राघण्ण जैसे वरिष्ठ कलाकारों से आरम्भ होकर, छोटी सी कुमारी समन्विता तक, अशोक हुग्गण्णवर, हुमायुन जैसे हिन्दुस्थानी संगीत के वरिष्ठ कलाकारों से लेकर, उभरते कलाकार जैसे सिद्धार्थ बेळ्मण्णु तक सभी ने राम के चरणों में अपनी सेवा समर्पित की । विशेष रूप से श्री संस्थान जी ने अपने नादयोग में त्यागराज, भद्राचल रामदास, सदाशिव ब्रह्मेंन्द्र, शिशुनाळ षरीफ, नाथ परम्परा के गुरु साहित्य को भावपूर्ण से हम तक पहुंचाया और हम सब को अमृत पिलाया।

 

कुल ४१ रामपद अनुग्रहित हुए। उनमें से ४ वेदपद भी समन्वित हैं। पुरुषसूक्त, रुद्रचमक, गोसूक्त, पुरुषसूक्त के घन वैदिकोत्तमों के कंठ से उद्घोषित हुए। इन उत्तमोत्तम वेद मन्त्रों का अर्थ श्री संस्थान जी ने हमें बताया और समझाया। वेदमूर्ति पल्लडक शंकरनारायण, जिन्हें श्री संस्थान जी ने स्वर्ण अंगुलि से सम्मानित किया था । उनसे लेकर कुल २४ घनपाठियों ने इस वेदपद में अपनी सेवा समर्पित की । करीब ८० कलाकारों ने इस रामपद सत्संग में अपना योगदान दिया।

 

विलंबी संवत्सर के वैकुंठ एकादशी (१८-१२-२०१८) के दिन जो रामपद अनुग्रहित हुआ, उसके साथ साथ रामपद अब तात्कालिक विराम ले रहा है। कुछ नई कायकल्प के साथ ’रामपद’ कुछ दिनों के बाद आपके सामने फिर आयेगा ।

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