ज्ञान मालिका : प्रेम अमर है – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी द्वारा दिये हुए प्रवचन मालिका

श्री संस्थान

एक वन विभाग में दो तितलिया एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे । उन दिनों में से कौन ज्यादा प्यार करते हैं ये जानने के लिए एक प्रतियोगिता रख कर एक परीक्षा के मूलक समझने की निर्धार किया ‌। परीक्षा ये थी कि जो भी अगले दिन एक फूल के ऊपर फूल खिलने से पहले बैठेगा वहीं सबसे ज्यादा प्यार करता है । एक तितली ने प्रतियोगिता जीतने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले ही फूल खिलने का इंतजार कर रहा था । जब उसने फूल पर बैठने चला तो देखा दूसरी तितली उससे पहले फूल पर बैठी थी । फूल खिलने से पहले, रात ही वह तितली ने फूल में बैटी थी, उसी कारण दम घुट कर मर गई । उसे देख कर दूसरे तितली दिग्भ्रांत हो जाता है ।

 

 

इस कहानी से हमें ये समझ आता है कि प्रेम की गहराई को नाप नहीं सकते हैं । जानवर और पक्षी भी प्यार के खातिर जान दे सकते हैं । प्यार में संतोष भी है दर्द भी है । सच्चा प्यार मतलब त्याग है वो अमर है ।

 

अनुवादक : प्रमोद मोहन हेगड़े

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Srimukha

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