ज्ञान मालिका : ऐसा कोई घर नहीं जहां म्रत्यु और दर्द नहीं – जगद्गुरुशंकराचार्य श्रीश्री राघवेश्वरभारती महास्वामीजी

श्री संस्थान

 

एक बार एक मांँ अपने इकलौता बेटा को बीमारी के वजह से खो दी। माँ दुख को रोक नहीं पाई। एक संत से मिली और अपने बेटे को वापस जि़ंदा लाकर देने की बहुत प्रार्थना की। अलग अलग तरीके से समाधान करने पर भी उस माँ की दुख कम नहीं होगी – यह बात समझकर संत ने कहा-
“इस शहर में जो घर में कभी मृत्यु – दर्द ना हुआ हो, उस घर से थोड़ा सा सरसों के बीज लाकर आओ। तुम्हारे बेटे की जान लौटा दूंगा।”

 

वो मांँ खुशी से हड़बड़ी में जब पहले घर पहुंची तो सुनी कि वहां कोई मृत्यु हुई थी। उनको भी उसे ही समाधान करना पड़ा। इस तरह से हर एक घर में एक ना एक मृत्यु दिखाई देती है। उन सबको शांत करने से अपनी दुख को ही बूल जाती है और यह सत्य समझ में आती है कि मृत्यु – दर्द रहित घर इस दुनिया में नहीं होता।

 

इस कहानी का सारांश यह है कि दूसरों के दुख दूर करने का प्रयास करने से हमारे दुख भी दूर हो जाते हैं।

अनुवादक : प्रमोद मोहन हेगड़े

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