वह एक युवक एक युवती से प्रेम करता था । उसके बिना कोई जीवन ही नहीं, ऐसा वह समझता था । लेकिन युवक की प्रेम को तिरस्कार कर के युवती ने किसी और को चाह रही थी। वह व्यक्ति उस युवती नहीं किसी और को चाह रहा था । ऐसा हुआ कि प्रेम से हर किसी को दर्द ही मिलता है ।
जीवन बिना कोई दर्द से कोई प्रेम है तो वो सिर्फ भगवान के प्रेम है । वहां कोई दर्द नहीं । जीवन में हम अगर किसी से प्रेम करते हैं तो उनसे बहुत दर्द भी हो सकता है, लेकिन उसे सहना पड़ता है। प्रेम एक त्याग है । त्याग में सच्चा प्यार है । बिना दर्द के कोई प्यार नहीं है । लेकिन उस दर्द से, त्याग से डर के प्रेम से वंचित नहीं होना चाहिए । इस प्रपंच से, दयालु भगवान से प्रेम करें, और धन्यता पाएं ।
अनुवादक : प्रमोद मोहन हेगड़े