श्रीकांची कामकोटि मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री विजयेन्द्र सरस्वती महास्वामी जी और श्री गोकर्ण संस्थान के श्री रामचन्द्रापुर मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती महास्वामी जी, दोनों ने कांची मठ में मिलकर बातचीत की ।
कांची स्वामी जी के विशेष निमंत्रण पर श्री रामचंद्रापुर मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती महास्वामी जी ने तमिलनाडु राज्य की कांची में स्थित कांची मठ का दौरा किया और उस मठ का सम्मान और स्वागत को स्वीकार किया। उपरान्त कामाक्षी देवी मन्दिर में देवी को विशेष फल पुष्प पंचांमृताभिषेक आदि समर्पण कर कांची के ब्रह्मैक्य परमाचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती महास्वामी जी के वृंदावन को भेट दी।
बाद में कांची मठ और श्री रामचंद्रापुर मठ दोनों के उभय शंकराचार्य पीठाधीपतीयों की बैठक हुई । इस समय धार्मिक संरक्षण और कई समकालीन घटनाओं के बारे में एक घंटे से भी अधिक समय तक विचार विनिमय हुआ।
श्री रामचन्द्रापुर मठ के स्वामीजी के इस यात्रा के बारे में हर्ष जताते हुए कांची शंकराचार्य जी ने कहा कि “यह हमारी बैठक धर्म-धर्म का सम्मिलन है और धर्म के विकास के लिए कारणीभूत होगा। इन दो मठों के बीच जो विश्वास सदियों से है वह और बढ़ रहा है। आपके हर कार्य में कांची मठ का पूरा सहयोग रहेगा।”
कांची स्वामी जी के इस भावना पर शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती महास्वामी जी ने अपने भाव ट्वीटर पर व्यक्त कर कहा कि,
कांची स्वामी जी के विशेष निमंत्रण पर जब हम कांची मठ में गये तब उभय पीठ का “अद्वैत” का पुनरवतरण हुआ।
अगर प्रकाश में प्रकाश सम्मिलित हो जाता है, तो अंधेरे को जगह कहां!?
इस संदर्भ में नित्याग्निहोत्री वेदमूर्ति ब्रह्मश्री महाबलेश्वर पळ्ळत्तड्क शंकरनारायण भट्ट घनपाठी जी, वे. ब्र. महाबलेश्वर घनपाठी जी, वे. ब्र. गजानन घनपाठी जी, बे. ब्र. मंजुनाथ घनपाठी जी और वे. ब्र विश्वनाथ शास्त्री जी उपस्थित होकर शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती महास्वमी जी का आशीर्वाद प्राप्त किये ।