महानंदी गोलोक में स्थित गोवर्धन गिरिधारी गोपालकृष्ण मंदिर का वार्षिकोत्सव एवं छत्र समर्पण समारोह

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* भगवान कृष्ण को स्वर्ण छत्र समर्पण – विष्णुसहस्रनाम की हजार आवृत्ति एवं सहस्र छत्र समर्पण ।

* गोवर्धन गिरिधारी गोपालकृष्ण के सानिध्य में छत्र समर्पण करने की संकल्पना को अवसर ।

कृष्ण ने गोवर्धन गिरि को उठाकर भक्तों की रक्षा करके दिखाया था कि उस पर विश्वास करनेवालों की “न हार है न मौत”।
जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती महास्वामी जी ने कहा कि जो लोग कठिनाई से पीड़ित हैं, उन्हें गोवर्धन गिरिधारी गोपालकृष्ण के आँगन में छत्र समर्पण करने की संकल्पना का अवसर प्रदान किया गया है।

 

मंदिर के निर्माण से पूर्व, निर्माण के समय, और उसके बाद श्रीमठ आग के बीच जूझ रहा था और महत आपदाओं का सामना करना पड़ रहा था । लेकिन भगवान की कृपा से मठ उन आपदाओं से बाहर निकलकर सुरक्षित है । इसके अतिरिक्त यह धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में अपने आप को उर्जित रूप से कार्यरत कर रहा है । कृष्ण और गायों की दया से मठ सुरक्षित है। यदि गाय और भक्ति है तो भगवान का संरक्षण सुनिश्चित है।

 

अरलुमल्लिगे पार्थसारथी के नेतृत्व में समर्पित श्री विष्णु सहस्रनाम पठन के बारे में प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि “विष्णु सहस्रनाम पठन में अद्भुत शक्ति है” ऐसे धार्मिक कार्य बार-बार आयोजित रहने की आशा जताई |
सभी नस्लों की गायों से युक्त – दुनिया की एकमात्र गोशाला
श्री संस्थानाधीश्वर जी ने कहा कि जब हमने देसी गायों का पालन शुरू कीया तब मठ के शुभचिंतकों ने पूछा कि क्यों इस काम को कर रहे हैं? यह एक नुकसान का काम है और कठिन भी है! ?
फिर हमने उन्हें इसकी आवश्यकता के बारे में बताया और गोरक्षा कार्य में आगे बड़े । इसके फल स्वरूप आज महानंदी गोलोक देश की सभी नस्लों से युक्त एकमात्र गोशाला के नाम से प्रसिद्ध हुई है। 32+ नस्लों की गायें महानंदी गोलोक में हैं।

 

द्वापर युग के वृंदावन को फिर से बनाने की योजना है, जिसमें एक प्रदक्षिण पथ, पानी का स्रोत और गायों को स्वतंत्र से घूमने का अवसर प्राप्त करवाना आदि योंजनाएँ हैं । इस महान कार्य में धर्म प्रेमियों व गोप्रेमियों को हाथ मिलाना है।

 

विद्यावाचस्पति अरुलुमल्लिगे पार्थसारथी जी ने कहा कि यांत्रिक जीवन में हमें प्रार्थना के लिए दिन में 24 मिनट भी कम लगते हैं। रोज़ विष्णु सहस्रनाम जप करने से शाश्वत शांति मिलती है। आज की शिक्षा प्रणाली केवल स्कोरिंग पर केंद्रित है। वह देश की संस्कृति और संस्कृति का सार प्रदान करने में विफल रही है । उन्होंने इस धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह महान है श्री राघवेश्वर भारती स्वामी जी जिन्होंने गोलोक को फिर से बनाया।

 

इस अवसर उन्होंने रूचि ग्रुप के प्रमुख दिनेश सहारा द्वारा लिखित ‘सिंप्लीसिटी एंड विज़डम’ कृति का लोकार्पण किया । डॉ . अलका पटेल, व्यवसायी बी. रवि, ​​हव्यक महामंडल की अध्यक्षा ईश्वरी बेर्कड़वु, श्री के. पी. एडप्पाडी, डॉ. सीताराम प्रसाद आदि गण्य उपस्थित थे ।
श्रीमठ से लेकर गोलोक तक छत्र समर्पणा की विशेष झांकी लगी थी। राज्य के विभिन्न प्रदेशों से आए भक्तों ने गोपालकृष्ण को चांदी और तांबे के छत्र को समर्पित किया और आपदाओं से बचाने की प्रार्थना की।

 

इसी अवसर पर विद्यावाचस्पति अरुलुमल्लिगे पार्थसारथी के नेतृत्व में विष्णु सहस्रनाम परायण चला । धर्म संरक्षण – वयोवृद्धों का कल्याण – देश की रक्षा के लिए प्रार्थना करके विष्णु सस्त्रनाम पारायण किया गया।

 

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